आखिर ये कब तक आज बस दो शब्द। आखिर ये कब तक आज बस दो शब्द।
सह नहीं पाती, झूठ को छिपा नहीं पाती इसीलिए शायद दो शब्द लिख नहीं पाती। सह नहीं पाती, झूठ को छिपा नहीं पाती इसीलिए शायद दो शब्द लिख नहीं पाती।
अपना बच्चा जब गोद में बढ़ता माँ बाप है एक दुनिया गढ़ता! अपना बच्चा जब गोद में बढ़ता माँ बाप है एक दुनिया गढ़ता!
कुछ शब्द उधार दे दो मुझे कुछ शब्द उधार दे दो मुझे
फिर धकेला जाता है जीव जीने के लिए यहां से वहाँ दो दरवाजे पर। फिर धकेला जाता है जीव जीने के लिए यहां से वहाँ दो दरवाजे पर।
दो बूँद दो बूँद